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एबॉर्शन और पीरियड्स का संबंध: जानें हर जरूरी पहलू

एबॉर्शन और पीरियड्स का संबंध: जानें हर जरूरी पहलू

भूमिका

एबॉर्शन के बाद शरीर में कई बदलाव होते हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण बदलाव पीरियड्स के चक्र से जुड़ा होता है। कई महिलाओं को एबॉर्शन के बाद अपने मासिक धर्म में असमान्यताएं महसूस होती हैं। यह लेख "एबॉर्शन और पीरियड्स का संबंध" विषय पर विस्तार से चर्चा करेगा और इससे जुड़ी भ्रांतियों व वैज्ञानिक तथ्यों को स्पष्ट करेगा।

एबॉर्शन के बाद पीरियड्स में बदलाव

एबॉर्शन के बाद पहली बार पीरियड्स आने का समय और इसका स्वरूप हर महिला के शरीर पर निर्भर करता है। यह बदलाव निम्नलिखित कारणों से प्रभावित होते हैं:

  1. एबॉर्शन का तरीका:

    • मेडिकल एबॉर्शन (गोलियों द्वारा) और सर्जिकल एबॉर्शन के बाद पीरियड्स में अलग-अलग बदलाव देखे जा सकते हैं।

    • मेडिकल एबॉर्शन के बाद अधिक दिनों तक ब्लीडिंग हो सकती है, जबकि सर्जिकल एबॉर्शन में यह कम समय तक रहती है।

  2. हार्मोनल असंतुलन:

    • एबॉर्शन के बाद प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन हार्मोन का संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे मासिक धर्म प्रभावित हो सकता है।

    • कुछ महिलाओं को कई हफ्तों तक अनियमित पीरियड्स का अनुभव हो सकता है।

  3. ओव्यूलेशन का दोबारा शुरू होना:

    • एबॉर्शन के 2-6 हफ्तों बाद ओव्यूलेशन शुरू हो सकता है, जिसके बाद सामान्य मासिक चक्र फिर से लौट आता है।

  4. शारीरिक रिकवरी:

    • शरीर की रिकवरी प्रक्रिया और स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार पीरियड्स का पैटर्न बदल सकता है।

पीरियड की ब्लीडिंग और एबॉर्शन के बाद फर्क

एबॉर्शन के बाद पहले पीरियड में कुछ अंतर देखे जा सकते हैं:

  • पहला पीरियड सामान्य से अधिक भारी या हल्का हो सकता है।

  • ब्लड क्लॉट्स (खून के थक्के) ज्यादा हो सकते हैं।

  • रक्तस्राव की अवधि लंबी या छोटी हो सकती है।

  • रंग में भिन्नता – गहरा लाल या भूरा रंग हो सकता है।

  • पीरियड्स के दौरान हल्के से तेज दर्द महसूस हो सकता है।

एबॉर्शन के बाद हार्मोनल बदलाव

गर्भपात के बाद हार्मोनल स्तर में कई बदलाव हो सकते हैं, जिनका असर पीरियड्स, भावनात्मक स्थिति और शरीर पर पड़ता है।

  1. प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन का उतार-चढ़ाव:

    • एबॉर्शन के बाद शरीर को हार्मोनल संतुलन वापस लाने में कुछ सप्ताह लग सकते हैं।

  2. पीरियड्स में देरी:

    • कुछ महिलाओं को एबॉर्शन के बाद पहला पीरियड आने में 4-8 हफ्तों तक का समय लग सकता है।

  3. भावनात्मक प्रभाव:

    • हार्मोनल असंतुलन मूड स्विंग्स, चिंता, और डिप्रेशन का कारण बन सकता है।

गर्भनिरोधक के विकल्प

एबॉर्शन के बाद यदि आप अगली गर्भधारण को रोकना चाहती हैं, तो निम्नलिखित गर्भनिरोधक विकल्पों पर विचार कर सकती हैं:

  1. गर्भनिरोधक गोलियां – हार्मोन को नियंत्रित कर मासिक धर्म नियमित करने में मदद करती हैं।

  2. इंट्रायूटेराइन डिवाइस (IUD) – लंबे समय तक सुरक्षित गर्भनिरोधक उपाय।

  3. इंजेक्शन – तीन महीने तक गर्भधारण से सुरक्षा प्रदान करता है।

  4. Barrier Method (कंडोम, डायाफ्राम) – हार्मोनल हस्तक्षेप के बिना सुरक्षित तरीका।

एबॉर्शन के बाद संबंध बनाने का सही समय

गर्भपात के बाद शरीर को ठीक होने में समय लगता है। डॉक्टर आमतौर पर 2-3 हफ्तों तक संबंध न बनाने की सलाह देते हैं ताकि संक्रमण का खतरा न हो।

ध्यान देने योग्य बातें:

  • यदि भारी रक्तस्राव हो रहा हो, तो संभोग से बचें।

  • यदि बुखार, पेट में तेज दर्द या असामान्य डिसचार्ज हो रहा हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

डॉक्टर से परामर्श की आवश्यकता

निम्नलिखित स्थितियों में डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक है:

  • अत्यधिक और लंबे समय तक ब्लीडिंग होना।

  • बुखार, ठंड लगना, और अत्यधिक कमजोरी महसूस होना।

  • अत्यधिक पेट दर्द या ऐंठन।

  • पीरियड्स की अनियमितता लंबे समय तक बनी रहना।

पीरियड्स से जुड़े मिथक और तथ्य

पीरियड्स को लेकर कई प्रकार की गलत धारणाएँ समाज में फैली हुई हैं। आइए कुछ आम मिथकों और उनके वैज्ञानिक तथ्यों को समझते हैं:

  1. मिथक: एबॉर्शन के बाद पीरियड्स सामान्य हो जाते हैं।

    • तथ्य: एबॉर्शन के बाद पहले कुछ चक्र अनियमित हो सकते हैं।

  2. मिथक: एबॉर्शन के बाद महिला की प्रजनन क्षमता खत्म हो जाती है।

    • तथ्य: यदि एबॉर्शन सही तरीके से किया जाए, तो भविष्य में गर्भधारण की संभावना बनी रहती है।

  3. मिथक: एबॉर्शन के तुरंत बाद ओव्यूलेशन नहीं होता।

    • तथ्य: कई महिलाओं में एबॉर्शन के 2-3 हफ्तों बाद ही ओव्यूलेशन शुरू हो सकता है।

  4. मिथक: एबॉर्शन के बाद पीरियड्स में दर्द नहीं होता।

    • तथ्य: कुछ महिलाओं को पहले कुछ चक्रों में अधिक दर्द और ऐंठन का अनुभव हो सकता है।

  5. मिथक: पीरियड्स के दौरान भारी रक्तस्राव का मतलब है कि कोई समस्या है।

    • तथ्य: पहले कुछ पीरियड्स में थोड़ा अधिक ब्लीडिंग सामान्य हो सकती है, लेकिन अत्यधिक रक्तस्राव होने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

निष्कर्ष

एबॉर्शन के बाद पीरियड्स में बदलाव आना एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन यह हर महिला के लिए अलग हो सकता है। यदि किसी भी असामान्यता का अनुभव हो, तो डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है। पीरियड्स से जुड़ी भ्रांतियों से बचें और केवल वैज्ञानिक तथ्यों पर भरोसा करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. बच्चेदानी की सफाई के कितने दिन बाद पीरियड आता है?
बच्चेदानी की सफाई (डी एंड सी या अन्य प्रक्रियाओं) के बाद पहला पीरियड आमतौर पर 4 से 8 हफ्तों के भीतर आ सकता है। यह समय हार्मोनल बदलाव और शरीर की रिकवरी पर निर्भर करता है।

2. क्या खाने से पीरियड आता है?
हाँ, कुछ खाद्य पदार्थ जैसे अदरक, पपीता, हल्दी, और गुड़ पीरियड्स को जल्दी लाने में मदद कर सकते हैं। हालांकि, इनका असर हर महिला पर अलग-अलग हो सकता है।

3. बच्चा गिराने पर कितने दिन तक ब्लड आता है?
मेडिकल एबॉर्शन के बाद ब्लीडिंग 1 से 2 हफ्ते तक रह सकती है, जबकि सर्जिकल एबॉर्शन के बाद यह आमतौर पर 3 से 7 दिनों तक रहती है। अगर अत्यधिक ब्लीडिंग हो रही हो तो डॉक्टर से संपर्क करें।

4. कैसे पता करें कि गर्भपात पूरा हो गया है?
गर्भपात पूरा हुआ या नहीं, यह सुनिश्चित करने के लिए अल्ट्रासाउंड करवाना सबसे सटीक तरीका है। अगर ब्लीडिंग बंद हो गई है, तेज़ दर्द या इंफेक्शन के लक्षण नहीं हैं और शरीर सामान्य महसूस कर रहा है, तो गर्भपात पूरा होने की संभावना होती है। फिर भी, डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है।

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