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बांझपन क्या है? (Infertility Meaning in Hindi)

बांझपन क्या है? (Infertility Meaning in Hindi)

बांझपन (Infertility) का मतलब है – ऐसी स्थिति जब कोई स्त्री या पुरुष नियमित असुरक्षित यौन संबंध बनाने के बावजूद भी गर्भधारण नहीं कर पाता/पाती है, वह भी कम से कम एक साल तक प्रयास करने के बाद। यह एक सामान्य चिकित्सा स्थिति है, लेकिन समाज में इसे अभी भी गलत नजर से देखा जाता है। कई बार ये स्थिति महिला या पुरुष किसी एक की वजह से होती है, तो कई बार दोनों में समस्या हो सकती है।
यह समझना ज़रूरी है कि बांझपन का मतलब यह नहीं कि संतान प्राप्ति संभव नहीं है। आज विज्ञान इतना विकसित हो चुका है कि सही समय पर इलाज और सहारा लेकर अधिकांश लोग माता-पिता बनने का सुख पा सकते हैं।
 
 

क्या बांझपन कोई दुर्लभ समस्या है?

बिलकुल नहीं। WHO के आंकड़ों के अनुसार, विश्वभर में 15% दंपत्ति इस समस्या से जूझ रहे हैं। भारत में भी यह आंकड़ा तेज़ी से बढ़ रहा है — यहां हर 6 में से एक जोड़ा किसी न किसी रूप में प्रजनन संबंधी समस्याओं का सामना कर रहा है। फिर भी, जानकारी की कमी, सामाजिक दबाव और शर्म की वजह से बहुत से लोग खुलकर इसका सामना नहीं कर पाते।
 

भारत में बांझपन और समाज की सोच (Infertility and Indian Social Perspective)

भारत जैसे पारंपरिक और सांस्कृतिक समाज में शादी के बाद बच्चे होना ही परिवार की “पूर्णता” मानी जाती है। ऐसे में जब कोई जोड़ा बच्चा नहीं कर पाता, तो समाज उसे नकारात्मक नजरों से देखने लगता है।
अक्सर महिला को ही दोषी ठहराया जाता है, जबकि मेडिकल साइंस बताता है कि करीब 40% मामलों में पुरुषों में भी समस्या होती है। यही नहीं, 10-20% मामलों में तो किसी भी पार्टनर में कोई स्पष्ट समस्या नहीं होती, फिर भी गर्भधारण नहीं होता — जिसे “Unexplained Infertility” कहा जाता है।
इस मानसिकता की वजह से कई लोग खुलकर बात नहीं कर पाते, शर्म महसूस करते हैं और इलाज करवाने में देरी कर देते हैं। इसलिए समाज को भी इस विषय में जागरूक होना जरूरी है।
 

बांझपन के प्रकार (Types of Infertility)

1. प्राथमिक बांझपन (Primary Infertility)
जब कोई स्त्री पहले कभी गर्भवती नहीं हुई हो, और एक साल से अधिक समय से प्रयास करने के बावजूद गर्भधारण नहीं कर पा रही हो, तो इसे प्राथमिक बांझपन कहते हैं। यह स्थिति अधिकतर नवविवाहित जोड़ों में देखने को मिलती है।
2. द्वितीयक बांझपन (Secondary Infertility)
अगर कोई स्त्री पहले गर्भवती हो चुकी है (चाहे गर्भपात हुआ हो, या बच्चा जन्मा हो), लेकिन इसके बाद वह गर्भधारण नहीं कर पा रही है, तो इसे द्वितीयक बांझपन कहा जाता है। इसका कारण उम्र, हार्मोनल बदलाव, सर्जरी या जीवनशैली में बदलाव हो सकता है।
 

बांझपन के कारण (Causes of Infertility)

बांझपन के कई कारण हो सकते हैं और ये महिला और पुरुष दोनों में भिन्न हो सकते हैं।
महिलाओं में बांझपन के कारण:
  1. ओवुलेशन में समस्या:
    हर महीने महिला के शरीर में अंडा बनता है जिसे ओवुलेशन कहते हैं। यदि अंडा न बने या सही समय पर न फटे, तो गर्भधारण नहीं हो पाता।
  2. PCOS (Polycystic Ovary Syndrome):
    यह हार्मोनल गड़बड़ी है, जिसमें अंडाशय में कई छोटी-छोटी गांठें (सिस्ट्स) बन जाती हैं और ओवुलेशन बाधित होता है।
  3. एंडोमेट्रिओसिस:
    गर्भाशय की परत (एंडोमेट्रियम) शरीर के अन्य हिस्सों जैसे अंडाशय, ट्यूब आदि में उग आती है और दर्द व प्रजनन समस्या पैदा करती है।
  4. फैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज:
    यदि अंडा शुक्राणु तक नहीं पहुंच पाता या निषेचन के बाद भ्रूण गर्भाशय तक नहीं जा पाता, तो गर्भधारण नहीं हो सकता।
  5. फाइब्रॉइड्स / पॉलीप्स:
    गर्भाशय की दीवारों पर बनी गांठें भ्रूण के विकास को रोक सकती हैं।
  6. थायरॉइड की गड़बड़ी:
    थायरॉइड हार्मोन का असंतुलन ओवुलेशन को प्रभावित करता है।
  7. उम्र:
    35 वर्ष के बाद अंडाणुओं की संख्या और गुणवत्ता दोनों कम होने लगती हैं।
  8. तनाव, मोटापा, अत्यधिक वजन कम होना, शराब, धूम्रपान।
पुरुषों में बांझपन के कारण:
  1. Low Sperm Count:
    अगर शुक्राणुओं की संख्या कम हो तो निषेचन नहीं हो पाता।
  2. Poor Sperm Motility:
    शुक्राणु यदि अंडाणु तक नहीं पहुंच पाते, तो गर्भधारण असंभव हो जाता है।
  3. Varicocele (अंडकोष की नसों की सूजन):
    यह स्थिति अंडकोष की नसों को गर्म करती है और स्पर्म क्वालिटी को नुकसान पहुंचाती है।
  4. Infection (संक्रमण):
    वीर्य मार्ग में संक्रमण होने से स्पर्म नष्ट हो सकते हैं।
  5. हॉर्मोनल असंतुलन:
    टेस्टोस्टेरोन और अन्य हार्मोन की कमी से शुक्राणु बनना बंद हो सकते हैं।
  6. Smoking, Alcohol, ड्रग्स का सेवन।

 
बांझपन के लक्षण (Common Symptoms of Infertility)

कई बार लोग वर्षों तक यह नहीं जान पाते कि उन्हें बांझपन है, क्योंकि इसके लक्षण सीधे दिखाई नहीं देते। लेकिन कुछ संकेत होते हैं जो यह दिखाते हैं कि कुछ तो गड़बड़ है – जैसे महिलाओं में अनियमित पीरियड्स, दर्दनाक माहवारी या पुरुषों में यौन कमजोरी या स्पर्म की गुणवत्ता में कमी। इस सेक्शन में हम उन संकेतों की चर्चा करेंगे जो समय रहते पहचानने पर इलाज की दिशा में पहला कदम बन सकते हैं।

 
बांझपन की जांच कैसे होती है? (Infertility Diagnosis Process)

सही इलाज के लिए सही जांच बेहद ज़रूरी है। बांझपन की जांच में महिलाओं और पुरुषों दोनों की अलग-अलग जाँचें शामिल होती हैं, जैसे कि ओवुलेशन ट्रैकिंग, अल्ट्रासाउंड, हार्मोनल ब्लड टेस्ट, लैप्रोस्कोपी, और सीमन एनालिसिस। इस सेक्शन में आप जानेंगे कि जांच की प्रक्रिया क्या होती है और कौन-कौन से टेस्ट कब और क्यों किए जाते हैं।

 
बांझपन का इलाज (Treatment Options for Infertility)

बांझपन का इलाज अब पहले से कहीं ज्यादा संभव और प्रभावी हो चुका है। विज्ञान ने ऐसी तकनीकें विकसित की हैं जो माता-पिता बनने का सपना साकार कर सकती हैं—चाहे वह दवाइयों से हो, सर्जरी से, या कृत्रिम प्रजनन तकनीकों जैसे आईयूआई, आईवीएफ या सरोगेसी से। इस अनुभाग में हम सभी उपचार विकल्पों को विस्तार से समझाएंगे ताकि आपको अपनी स्थिति के अनुसार सबसे अच्छा विकल्प चुनने में मदद मिले।
 

निष्कर्ष (Conclusion)

इस पूरे ब्लॉग का सार यही है कि बांझपन को स्वीकार करना, समझना और उसका इलाज करना अब पहले से आसान और प्रभावी हो गया है। अगर आप या आपके जानने वाले इस स्थिति से गुजर रहे हैं, तो उन्हें जानकारी और समर्थन देना ही पहला और सबसे ज़रूरी कदम है। समाज की सोच से ज़्यादा ज़रूरी है आपकी ख़ुशी और स्वास्थ्य।

Dr sunita singh Rathour

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